ZINDAGI Lyrics
- Genre:Hip Hop & Rap
- Year of Release:2021
Lyrics
कभी ना छोड़ी कसर है जब भी, माइक पे मेरी बारी आई
कला का सर पे बोझ देख , आवाज़ मेरी भारी आई
हैं लगती रुद्र तांडव , सी मेरी वाणीयाँ ही
ना मन मे शंका कल कदम चुमेगी कामियाबी।
हम चाहे ना-समझ पर है समझ की क्या है करना
बस चाहे ज़िंदगी मे होसलो की शिहाई भरना
फिर चाहे बीत जाए ज़िंदगी ये सादगी मे
फक्र मेरी सोच पे की चाहती है वो शाही मरना।
मुह पे बात प्रेम की, पर भावना कलेश की
ना होता मुझसे ढोंग, ना बदलना चाहू भेष भी
बदलती सारी भावना, उमड़ता प्रेम शेष ही
अगस्त (15) पंद्रा आए जब ही बाते करते देश की।
हाँ माना, आना चाहिए वो बाबू ज़िंदगी मे
पर ये सोचना-होगा गलत, की वो ही ज़िंदगी है
तो आओ मे सुनाऊ किस्से मेरी ज़िंदगी के
होंगे ना-समझ से क्युकी, ये ही ज़िंदगी है।
क्या पड़े इन अखबारों को
फिर एक लड़की का रेप हो गया
होना ही था, पहने होंगे छोटे छोटे कपड़े
घुम रहे होंगे रात रात भर।
तीन महीने की बच्ची थी।
वो ठेहरी मासूम सी क्या ही समझती
क्या उसका दोष था वो बस तेरी ठरक थी
वो छोटी सी बच्ची जो देख तुझे हस्ति
हवस हेवानियत सी मिटा दी हस्ती
अगर-मे-बोलूँगा तो सबके मुह पे ताले होंगे
हाँ मुझको मालूम हैं चार स्टे-ट्स तो डाले होंगे
पर क्या ही फायदा, जब-तक कडा ना कायदा
पता तो तब चले जब खुदके मुह मै छाले होंगे।
वो कहते ज़िंदगी को जिने वाला चाहिए,
पर पहले ज़िंदगी जिने लायक बनाइये
और जब तक काबिल बनेंगे तेरे भाई ये
ना कोई ख्वाईशें ना करेंगे नुमाइशे।
उमर हैं छोटी पर तज़ुर्बे बड़े ज़िंदगी में
ठोकर से गिरे, पर लड़े खड़े हैं ज़िंदगी से
जो सुनाए ये थे किस्से असल-ज़िंदगी के
समझा होगा ना-समझी को, ये ही ज़िंदगी हैं।